Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 52
जस्सूजी ने देखा की सुनीता पानी के अंदर रुक गयी पर एक ही जगह भँवर के कारण गोल गोल घूम रही थी। पानी में खतरनाक भँवर हो रहे थे।
जस्सूजी ने देखा की सुनीता पानी के अंदर रुक गयी पर एक ही जगह भँवर के कारण गोल गोल घूम रही थी। पानी में खतरनाक भँवर हो रहे थे।
सुनीलजी ने आगे पोजीशन ले ली, करीब ५० कदम पीछे सुनीता और सबसे पीछे जस्सूजी गन को हाथ में लेकर चल दिए। बारिश काफी तेज होने लगी थी।
गर्मी और पसीने के मारे जस्सूजी, सुनीलजी और सुनीता की हालत खराब थी। ऊबड़खाबड़ रास्ते पर इतना लंबा सफर वह भी घोड़े पर हाथ पाँव बंधे हुए करना थकावट देने वाला था।
काफिले के पीछे उनके पालतू हाउण्ड घोड़ों के साथ साथ दौड़ पड़े और देखते ही देखते काफिला सब की आंखोंसे ओझल हो गया। उस समय सुबह के करीब ११३० बज रहे थे।
नीतू और कुमार की मैथुन लीला देखने के बाद सुनीता को जस्सूजी का रवैया काफी बदला हुआ नजर आया। अब वह उनकी कामनाओं और भावनाओं की कदर करते हुए नजर आये।
नीतू की चुदाई देख कर सुनीता की चूत में भी अजीब सी जलन और हलचल हो रही थी। उन्हें चोदने के लिए सदैव इच्छुक उसके प्यारे जस्सूजी वहीं खड़े थे।
सुनीता ने जस्सूजी का हाथ थामा और दोनों चुपचाप नीतू और कुमार जिस दिशा में गए थे उस तरफ उनके पीछे छिपते छिपाते चल पड़े। जिसे ज्योतिजी और सुनीलजी ने देख लिया।
कैंटीन में सुनीता और ज्योतिजी की मुलाक़ात नीतू से हुई। उसके पति ब्रिगेडियर खन्ना साहब कहीं नजर नहीं आ रहे थे। नीतू ने घुटनों तक पहुंचता हुआ स्कर्ट पहना था।
सुनीलजी की बात से सेहमी हुई सुनीता बिना कुछ बोले सुनीलजी के एक के बाद एक धक्के झेलती रही। सुनीलजी ने सुनीता की टांगें अपने कंधे पर रखी हुई थी।
सुनीता ने अपने पति को झाड़ तो दिया पर उनकी बातें सुनकर वह बहुत गरम हो गयी थी। उसकी चूत में से रस चू ने लगा था। पर वह जस्सूजी से तो चुदवा नहीं सकती थी!
दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। सुनील ज्योति और जस्सूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जस्सूजी ने ज्योति के कानों में कुछ कहा।
सुनीता को याद आया की जस्सूजी ने अपनी पत्नी ज्योति को भी यह शब्द कहे थे। सुनीता सोच रही थी की इन शब्दों में कितनी सच्चाई थी।
जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जस्सूजी का स्थान सभा के मंच पर था।
कर्नल साहब (जस्सूजी) ने काफी समय पहले ही कैंप के मैनेजमेंट से दो कमरों का एक बड़ा फ्लैट टाइप सुईट बुक करा दिया था। जिसमे वो सब रुकने वाले थे।
जान बचाने की छटपटाहट के मारे सुनीता ने जस्सूजी के लण्ड को कस के पकड़ा और उसे पकड़ कर खुद को ऊपर आने की लिए खिंच कर हिलाने लगी।
कई बार सुनीता को बड़ा अफ़सोस होता था की उसने तैरना नहीं सीखा था। काफी समय से सुनीता के मन में यह एक प्रबल इच्छा थी की वह तैरना सीखे।
इस एपिसोड में पढ़िए कैसे ज्योति और सुनील के दो जिस्म एक हो गए, और उन दोनों ने इस सम्मलेन का खूब आनंद उठा या नहीं? इसके लिए पढ़िए और जानिए!
अपने आपको सम्हालते हुए ज्योति ने इधर उधर देखा। वह दोनों वाटर फॉल के दूसरी और जा चुके थे। वहाँ एक छोटा सा ताल था और चारों और पहाड़ ही पहाड़ थे।
ज्योतिजी और सुनीलजी झरने में कूद पड़े और तैरते हुए वाटर फॉल के निचे पहुँच कर उंचाइसे गिरते हुए पानी की बौछारों से भीगने लगे!
सुनील और जस्सूजी मर्दों को कपडे बदलने के रूम में चले गए। पर झरने के पास पहुँचते ही सुनीता जनाना कपडे बदलने के कमरे के बाहर रूक गयी और कुछ असमंजस में पड़ गयी।