Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 12
हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया। सुनीता को यह करुणा और उन्माद भरे दृश्य के देख कर पता नहीं क्या महसूस हो रहा था।
हॉल में फिर वही उन्माद पूर्ण माहौल बन गया। सुनीता को यह करुणा और उन्माद भरे दृश्य के देख कर पता नहीं क्या महसूस हो रहा था।
कर्नल साहब और सुनीता और सुनील और ज्योति, दोनों जोड़े एक दुसरे के साथी के साथ उस अंधरे से भरे हॉल में एक दुसरे से आकर्षित होने लगे थे.
दोनों जोड़े सिनेमा हाल में पहोंच गए थे, पर पर सुनीता इस बात से हेरान थी की वो कर्नल साहब के साथ बेठी है और उसका पति ज्योति के साथ..!
जब सुनीता फिल्म फेस्टिवल में जाने के लिए छोटी स्कर्ट और पतला सा छोटा ब्लाउज पहन के बाहर आयी तो उसे देख कर सुनील की हवा ही निकल गयी।
सुनीता की पढ़ाई जोरो शोरों से चल रही थी। कर्नल साहब भी रात रात भर खुद पढ़ाई करते और दूसरे दिन आकर सुनील की पत्नी सुनीता को पढ़ाते।
अपने पति के मुह से कर्नल साहब और खुद के सम्बन्ध की एक बात सुन कर ही सुनीता के झनझना सा उठा. कहीं उसके पति कर्नल साहब से जल तो नहीं रहे?
सुनीता गणित सीखना चाहती थी, तभी उसे ज्योति से पता चलता है की कर्नल साहब गणित में काफी होशियार है, इस बात से सुनता का मन अन्दर से गुदगुदा उठता है!
सुनीता के पिता के देहांत के बाद वो बड़ी ही उदास रहने लगती है, फिर सुनील के कहने पर कर्नल साहब उसे समझाते है और उसके मुद ठीक कर देते है!
सुनील और उनकी पत्नी कर्नल साहब के बहोत कहने पर उनके घर जाते है, वहां पर सुनीता की कर्नल से तो सुनील की कर्नल पत्नी की पत्नी ज्योति से बात होती है।
कर्नल साहब और उनकी बीवी ज्योति का मिलन कैसे हुआ, और कैसे वो दो से एक हो गए, कहानी के इस तीसरे एपिसोड को पढ़िए और सब जानिए!
जसवंत सिंह (कर्नल साहब) अपने पडोसी सुनील की पत्नी सुनीता का गदरीला बदन देख कर सन हो जाते है, आगे क्या हुआ इस एपिसोड में जानिए..
जीवन की भूलभुलैया में कुछ ऐसे लम्हे आते हैं। जिन को हम कितना ही चाहें फिर भी न कभी भूल पाते हैं।। ऐसे ही लम्हे इस कहानी में आपको पढने को मिलेगे!
मेरे पति ने मुझे एक सबक सिखाया, तो मैंने भी अपने पति को उसका जवाब देते हुए हुए खुली चुनोती दे दी. उनको बता दिया की नारी भी किसी मर्द से कम नहीं.
पिछले कुछ महीनों से मेरी चुदाई हुई ही नहीं थी। मेरे पति विदेश गए हुए थे। अजित से ब्रेक अप हो गया था। शायद इसलिए मेरा छिद्र और भी छोटा दिख रहा था।
योग के हाथ मेरी पतलून पर चले गए और अगले ही पल वो उसे निचे की तरफ खिसकाने लगे. मैंने झुक कर अपने हाथ एवं पॉंव से मेरी पतलून को निकाल दिया!
योग की कहानी और उनकी मेरे काम के प्रति तारीफ सुन कर मैं फूली नहीं समां रही थी, इस चक्कर में मैंने शम्पेन के 3-4 गिलास एक साथ गटक लिए!
योग सर की जीवन कहानी सुन कर ये तो पता चल गया की वो औरतों के प्रति ऐसे क्यों है. पर न जाने क्यों अब मैं उनके प्रति क्यों बदलना चाह रही थी!
योग के घर पड़ी उस तस्वीर के सच ने शायद उनके प्रति मेरी सोच और भावनाओ को एक दम से बदल दिया था, अब जैसे वो मुझे अच्छे से लगने लगे थे.
योग आखिर अपनी कारतूस में कामयाब हो ही गए थे, उन्होंने मुझे अपने बिस्तर पर नंगी सुला ही लिया. पर तभी कुछ ऐसा हुआ जिससे मैं हेरान रह गयी!
मैं पलंग पर नंगी लेटी हुई थी और घबरा रही थी और उन का अगला कदम क्या होगा उसका इंतजार कर रही थी। योग ने मुझे नंगी लेटी देख मुस्कुराने लगे!