Pooja Ki Pooja – Episode 3
कॉलेज ख़तम होने के बाद मुझे पोस्ट ग्रेजुएट में कहीं और दाखिला मिल गया और मैं उस शहर से दूर चला गया और मेरी और पूजा की कहानी वहीँ ख़तम हो गयी।
कॉलेज ख़तम होने के बाद मुझे पोस्ट ग्रेजुएट में कहीं और दाखिला मिल गया और मैं उस शहर से दूर चला गया और मेरी और पूजा की कहानी वहीँ ख़तम हो गयी।
अगर प्रोडूसर दूसरे प्रोडूसर के मॉडल इस्तेमाल करता है तो उसे काफी ज्यादा पैसे देने पड़ते हैं। इसी लिए अगर आप मॉडल बनते हैं तो आपको सब तरह के पोज़ देने पड़ते हैं।
क्या सुन्दर उभरे दिखते हैं दूध भरे यह वक्ष तुम्हारे जो, जब हाथ हमारे मसलेँगे तब हाल तुम्हारा क्या होगा? यह बॉल बड़े चिकने कोमल कैसी होंगी उनपर निप्पल?
सुनीता ने जस्सूजी की और देखा और अपना पेंडू से ऊपर धक्का मारकर जस्सूजी का लण्ड थोड़ा और अंदर घुसड़ने की कोशिश की। जिसका अंजाम क्या हुआ जानिए!
जस्सूजी ने पहले सुनीता के कपाल पर और फिर सुनीता के बालों पर, नाक पर, दोनों आँखों पर, सुनीता के गालों पर और फिर होँठों पर चुम्बन किया।
सुनीलजी ने सिर्फ एक धोती जो डॉ. खान की अलमारी में मिली थी वह पहन रक्खी थी। उसकी गाँठ भी बिस्तरे में पलटते हुए छूट गयी थी। वह बिस्तर में नंगे ही सोये हुए थे।
यह प्यार दीवाना पागल है। ना जाने क्या करवाता है। कभी प्यारी को खुद ही चोदे, तो कभी प्यारी को चुदवाता है। आगे आगे पढ़िए की कहानी में क्या क्या होता है।
कुछ ही देर में गद्दा और रजाई चटाई बगैरह लेकर डॉ. खान हाजिर हुए। डॉ. खान ने जस्सूजी से सुनीलजी की कहानी सुनी। कैसे आतंकवादियों से उनका पाला पड़ा था, बगैरा।
सुनीलजी ने आयेशा की गंवार भाषा में भी एक सच्चा प्यार देखा तो वह गदगद हो उठे। उन्होंने आयेशा को अपनी बाँहों में लिया और दोनों एक प्यार भरे गहरे चुम्बन में जुट गए।
सुनीता और जस्सूजी दोनों को एक दूसरे से पहली मुलाक़ात के महीनों के बाद पहली बार ऐसा मौक़ा मिला था जब उनकी महीनों की चाहत पूरी होने जा रही थी।
सुनीता को जस्सूजी का लण्ड अपनी चूत में लेकर जो भाव हो रहा था वह अवर्णीय था। एक तो जस्सूजी उसके गुरु और मार्ग दर्शक थे। उसके अलावा वह उसको बहुत चाहते थे।
जस्सूजी के बगल में ही लेट कर सुनीता ने अपनी बाजुओं को ऊंचा कर लम्बाया और जस्सूजी को अपनी बाँहों में आने का निमत्रण दिया। आगे क्या हुआ कहानी में जानिए!
बिस्तर में घुसने के बाद सुनीता दूसरी और करवट बदल कर लेट गयी। सुनीता की गाँड़ जस्सूजी की पीठ कीऔर थी। सुनीता काफी थकी हुई थी।
सुनीता ने जस्सूजी के पुरे बदन को अपने बदन से सटाने पर मजबूर किया। सुनीता के साथ ऐसे लेटने से जस्सूजी का इन मुश्किल परिस्थितियों में भी लण्ड खड़ा हो गया।
आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। सुनीलजी का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा।
राहों में मिले चलते चलते, हमराही हमारे आज हैं वह। जिनको ना कभी देखा भी था, देखो हम बिस्तर आज हैं वह।। पढ़िए और कहानी का लुफ्त उठाइए!
राहों में मिले चलते चलते हमराही हमारे आज हैं वह।
जिनको ना कभी देखा भी था देखो हम बिस्तर आज हैं वह।।
कालिया के हाथ में वही बंदूक थी और वह बन्दुक को सुनीलजी और जस्सूजी की और तान कर सुनीता से क्या बोला ये इस एपिसोड में जानिए!
कमसिन कातिल कामिनियाँ भी होती कुर्बां कुर्बानी पर। न्यौछावर कर देती वह सब कुछ ऐसी वीरल जवानी पर। पढ़िए और एक नए एपिसोड मजा लीजिए।
सुनीता ज़िंदा बचती है या नहीं, जस्सूजी सुनीता को बचा पाते हैं या नहीं और क्या जस्सूजी खुद बच पाते हौं या नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।