Utejna Sahas Aur Romanch Ke Vo Din – Ep 66
यह प्यार दीवाना पागल है। ना जाने क्या करवाता है। कभी प्यारी को खुद ही चोदे, तो कभी प्यारी को चुदवाता है। आगे आगे पढ़िए की कहानी में क्या क्या होता है।
यह प्यार दीवाना पागल है। ना जाने क्या करवाता है। कभी प्यारी को खुद ही चोदे, तो कभी प्यारी को चुदवाता है। आगे आगे पढ़िए की कहानी में क्या क्या होता है।
கணவரும் அவரின் நண்பர்களும் என்னிடம் விளையாட்டு என்று கூறி 4 பெரும் சேர்ந்து என்னைகட்டிப்போட்டு ஓத்தனர் தாகமாக இருக்கிறது என்று அவர்களின் கஞ்சைக் குடித்தேன்.
सुनीता को जस्सूजी का लण्ड अपनी चूत में लेकर जो भाव हो रहा था वह अवर्णीय था। एक तो जस्सूजी उसके गुरु और मार्ग दर्शक थे। उसके अलावा वह उसको बहुत चाहते थे।
बिस्तर में घुसने के बाद सुनीता दूसरी और करवट बदल कर लेट गयी। सुनीता की गाँड़ जस्सूजी की पीठ कीऔर थी। सुनीता काफी थकी हुई थी।
आधी रात बित चुकी थी। कुछ ही घंटों में सुबह होने वाली थी। सुनीलजी का मन खट्टा हो रहा था की एक वक्त आएगा जब उन्हें आयेशा को छोड़ कर जाना पड़ेगा।
राहों में मिले चलते चलते, हमराही हमारे आज हैं वह। जिनको ना कभी देखा भी था, देखो हम बिस्तर आज हैं वह।। पढ़िए और कहानी का लुफ्त उठाइए!
காம கதைகளுக்கு அடிமை ஆனா கணவன் தனது மனைவியை வேற ஒருவனுடன் ஓப்பதை இரு முறை கண்டு ரசித்து சுயஇன்பத்தை அனுபவைத்து பிறகு அவளையும் ஓத்து அனைவரும் சுகத்தை அடைந்தனர்.
Ye ek kalpnik katha hai kisi bhi martya ya jivit insan ya ghatna se iska koi sambandh nahi hai. Yadi is kahani se kisi ko thes pahuche to mafi chahata hoon,
Vishal ne pehle meri wife ko ek baar ache se choda aur main side me baith apni wife ko chudate hue dekh rha tha. Fir maine bhi ek baar apni wife ko choda.
Main aur meri wife ek sath bahot khush the. Par main ye dekhna chahta tha, ki meri wife kisi aur ke sath chudte hue kesi lagti hai.
नीतू की चुदाई देख कर सुनीता की चूत में भी अजीब सी जलन और हलचल हो रही थी। उन्हें चोदने के लिए सदैव इच्छुक उसके प्यारे जस्सूजी वहीं खड़े थे।
सुनीता ने जस्सूजी का हाथ थामा और दोनों चुपचाप नीतू और कुमार जिस दिशा में गए थे उस तरफ उनके पीछे छिपते छिपाते चल पड़े। जिसे ज्योतिजी और सुनीलजी ने देख लिया।
दोनों कमरे पूरी तरह प्रकाशित थे। सुनील ज्योति और जस्सूजी को अच्छी तरह प्यार करते हुए देख सकते थे। जस्सूजी ने ज्योति के कानों में कुछ कहा।
सुनीता को याद आया की जस्सूजी ने अपनी पत्नी ज्योति को भी यह शब्द कहे थे। सुनीता सोच रही थी की इन शब्दों में कितनी सच्चाई थी।
जब धीरे धीरे सब ने अपने होश सम्हाले तब कैंप के मुख्याधिकारी ने एक के बाद एक सब का परिचय कराया। जस्सूजी का स्थान सभा के मंच पर था।
कर्नल साहब (जस्सूजी) ने काफी समय पहले ही कैंप के मैनेजमेंट से दो कमरों का एक बड़ा फ्लैट टाइप सुईट बुक करा दिया था। जिसमे वो सब रुकने वाले थे।
जान बचाने की छटपटाहट के मारे सुनीता ने जस्सूजी के लण्ड को कस के पकड़ा और उसे पकड़ कर खुद को ऊपर आने की लिए खिंच कर हिलाने लगी।
कई बार सुनीता को बड़ा अफ़सोस होता था की उसने तैरना नहीं सीखा था। काफी समय से सुनीता के मन में यह एक प्रबल इच्छा थी की वह तैरना सीखे।
इस एपिसोड में पढ़िए कैसे ज्योति और सुनील के दो जिस्म एक हो गए, और उन दोनों ने इस सम्मलेन का खूब आनंद उठा या नहीं? इसके लिए पढ़िए और जानिए!
अपने आपको सम्हालते हुए ज्योति ने इधर उधर देखा। वह दोनों वाटर फॉल के दूसरी और जा चुके थे। वहाँ एक छोटा सा ताल था और चारों और पहाड़ ही पहाड़ थे।